अपने नागरिकों पर लगातार हो रहे हमलों को लेकर चिंतित भारत ने बुधवार को ऑस्ट्रेलिया से ‘विश्वसनीय जवाब’ मांगा ताकि उन चिंतित भारतीय अभिभावकों को एक स्पष्ट संदेश दिया जा सके जिनके 120,000 से अधिक बच्चे यहां अध्ययन कर रहे हैं.
‘एज’ अखबार में प्रकाशित एक लेख में भारतीय उच्चायुक्त सुजाता सिंह ने कहा है ‘यह समझना महत्वपूर्ण है कि ऑस्ट्रेलिया में जो कुछ हो रहा है, उसे लेकर भारत में नाराजगी और हताशा है.’ उन्होंने कहा कि आस्ट्रेलिया में रह रहे 120,000 छात्रों के अभिभावक कुछ सवालों के स्पष्ट जवाब मांग रहे हैं. ये सवाल हैं ‘क्या हमारे बच्चे ऑस्ट्रेलिया में सुरक्षित हैं? ऐसा क्यों लगता है कि केवल और मुख्य रूप से भारतीय ही शिकार हुए हैं? क्या हमलावरों को पकड़ा जा रहा है? क्या उन्हें सजा हो रही है? क्या हालात सुधर रहे हैं या और बिगड़ रहे हैं?’
भारतीयों पर हो रहे हमले को रोकने के लिए ऑस्ट्रेलिया सरकार द्वारा किए गए उपायों की जानकारी देने के लिए भारत आने से पहले सिंह ने लिखा है ‘मैं इन सवालों के विश्वसनीय जवाबों के लिए तथा ऑस्ट्रेलिया में रह रहे अपने बच्चों की सुरक्षा की खातिर चिंतित अभिभावकों को स्पष्ट संदेश देने के लिए मानवीय तत्वों को बनाए रखने की बात बढ़ा चढ़ा कर नहीं कह सकती.’
ऑस्ट्रेलिया में पिछले साल भारतीयों पर हमले के 100 से अधिक मामलों की खबर थी. इनमें से अधिकतर हमले विक्टोरिया में हुए थे. भारत सरकार के शीर्ष प्रतिनिधियों ने यह मामला अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्षों के सामने उठाया था. सिंह ने लेख में लिखा है ‘भारतीय छात्रों और ऑस्ट्रेलिया में विशाल भारतीय समुदाय के सदस्यों पर पिछले कुछ माह में हुए हमलों ने हम सभी को परेशान कर दिया है. मूल मुद्दा यह है कि हमलों की संख्या बढ़ती जा रही है और लगता है कि भारतीय, खास कर मेलबर्न में और बाहर रहने वाले भारतीय इससे बहुत प्रभावित हो रहे हैं.’
उन्होंने कहा है ‘हमें बताया गया कि मेलबर्न में हमारे छात्रों पर हमले का एक कारण, उनका देर रात को सार्वजनिक परिवहन प्रणाली से यात्रा करना है. अगर ऐसा है तो यही बात पूरे ऑस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों के साथ होनी चाहिए.’ सिंह ने कहा कि हालांकि अन्य शहरों में ऐसा नहीं लगता कि भारतीय छात्रों के साथ ऐसी घटनाएं हो रही हैं. उन्होंने कहा ‘मुझे इस सप्ताह विचारविमर्श के लिए भारत बुलाया गया है.’ उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया ने विभिन्न मुद्दों के समाधान के लिए कई उपाय किए हैं. इनमें से कुछ मुद्दे जटिल और आपस में जुड़े हुए हैं. ‘लेकिन शब्दजाल से आगे बढ़ना महत्वपूर्ण है. हमें हालात को बेहतर बनाना होगा. वास्तविक परिणामों को देखना आवश्यक है.’